रायपुर, 25 मई 2025
छत्तीसगढ़ सरकार की वन नीति और तेंदूपत्ता संग्रहण योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही हैं। बीजापुर और सरगुजा जिलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को न केवल बेहतर दरें मिल रही हैं, बल्कि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई भी बीमा योजना के माध्यम से की जा रही है।

🌿 बीजापुर: प्राकृतिक आपदा के बाद भी नहीं कटेगा संग्राहकों का मेहनताना
बीजापुर जिले में वर्ष 2025 के लिए 1,21,600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 21 मई 2025 तक 12,226.638 मानक बोरा का संग्रहण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। हालांकि, 22-23 मई की बेमौसम बारिश और नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण 3,23,539 गड्डियां तेंदूपत्ता की बह गईं, जिससे लगभग ₹17.79 लाख का नुकसान हुआ।
प्रबंध संचालक, वनोपज सहकारी यूनियन बीजापुर ने स्पष्ट किया है कि
“इस क्षति का बोझ संग्राहकों पर नहीं डाला जाएगा। बीमा के अंतर्गत क्लेम प्रस्तुत कर दिया गया है और सभी संग्राहकों को उनका पूरा मेहनताना ऑनलाइन माध्यम से मिलेगा।”

🌳 सरगुजा: तेंदूपत्ता की नई दर ₹5500 प्रति मानक बोरा, 97% लक्ष्य प्राप्त
सरगुजा जिला तेंदूपत्ता संग्रहण में पूरे राज्य में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। जिले में 36,200 मानक बोरा के लक्ष्य में से 35,217.129 बोरा का संग्रहण पूरा हो चुका है, जो 97.28% लक्ष्य प्राप्ति है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता दर ₹4000 से बढ़ाकर ₹5500 प्रति बोरा कर दी है। इस ₹1500 की वृद्धि से संग्राहकों में उत्साह का माहौल है।
बरगवां समिति की संग्राहक श्रीमती फूलेश्वरी ने बताया,
“अब अच्छी कीमत मिलने से बच्चों की पढ़ाई, दवाइयों और घर खर्च में सहूलियत मिल रही है।”
🏞️ तेंदूपत्ता संग्रहण: लघु वनोपज से ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता
छत्तीसगढ़ के लाखों ग्रामीण हर वर्ष गर्मी के मौसम में तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़ते हैं। खासकर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी इस क्षेत्र में देखने को मिलती है। सरकार द्वारा उचित मूल्य और समय पर भुगतान से यह कार्य अब स्थायी आजीविका का मजबूत आधार बन चुका है।
