छत्तीसगढ़ को भारत का “धान का कटोरा” कहा जाता है।

प्रस्तावना

छत्तीसगढ़ को भारत का “धान का कटोरा” कहा जाता है। यह राज्य कृषि पर निर्भर है और धान की खेती यहाँ के किसानों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। धान की पैदावार और उत्पादन में छत्तीसगढ़ का देश में एक महत्वपूर्ण स्थान है।


धान की खेती का महत्व

छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी धान की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है। राज्य में लगभग 80% कृषि योग्य भूमि पर धान की खेती की जाती है। यहाँ के प्रमुख धान उत्पादक जिलों में रायपुर, दुर्ग, बस्तर, बिलासपुर, और राजनांदगांव शामिल हैं।

धान छत्तीसगढ़ की प्रमुख खाद्य फसल है। यहाँ के लोग मुख्य रूप से चावल का सेवन करते हैं। इसके अलावा, धान की खेती से किसानों को आर्थिक संबल भी प्राप्त होता है। राज्य के कई किसान धान का उत्पादन कर न केवल अपनी जरूरतें पूरी करते हैं, बल्कि इसे बेचकर आय भी अर्जित करते हैं।


धान की प्रमुख किस्में

छत्तीसगढ़ में कई प्रकार की धान की किस्में उगाई जाती हैं। कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं:

  1. सवांधान: कम समय में पकने वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली किस्म।
  2. कर्मा: अधिक उत्पादन और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध।
  3. रामजी धान: अधिक उपज और अच्छी गुणवत्ता के लिए उपयुक्त।
  4. दुबराज: सुगंधित और स्वादिष्ट चावल के लिए प्रसिद्ध।

खेती की विधि

धान की खेती के लिए उचित भूमि का चुनाव, तैयारी और बीज की बुवाई महत्वपूर्ण है।

  • भूमि तैयारी: जून में पहली बारिश के साथ खेत की जुताई की जाती है।
  • बुवाई का समय: धान की बुवाई जून से जुलाई के बीच की जाती है।
  • सिंचाई और खाद: धान की अच्छी पैदावार के लिए पानी का सही प्रबंधन और जैविक खाद का उपयोग जरूरी है।
  • कटाई और मड़ाई: धान की फसल पकने के बाद नवंबर-दिसंबर में इसकी कटाई की जाती है।

आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाएँ

धान की खेती में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग बढ़ रहा है। ड्रिप सिंचाई, पॉवर टिलर और मशीनों से कटाई से किसानों को काफी मदद मिल रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही है, जैसे:

  • धान खरीदी योजना: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद।
  • कृषि यंत्र अनुदान योजना: किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराना।
  • कृषि ऋण माफी योजना: किसानों को ऋण से राहत।

चुनौतियाँ और समाधान

छत्तीसगढ़ में धान की खेती में निम्नलिखित चुनौतियाँ देखी जाती हैं:

  • सिंचाई की समस्या: कई क्षेत्रों में पर्याप्त जल आपूर्ति न होने से फसल प्रभावित होती है।
  • कीट और रोग: पत्तियों का झुलसना और कीटों का आक्रमण बड़ी समस्या है।
  • मंडी में मूल्य निर्धारण: किसानों को उचित मूल्य न मिलना।

समाधान:

  • जल प्रबंधन के लिए नहरों और जलाशयों का विकास।
  • उन्नत बीज और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग।
  • सरकार द्वारा समर्थन मूल्य की गारंटी।

उपसंहार

छत्तीसगढ़ में धान की खेती न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यदि आधुनिक तकनीकों का सही उपयोग और सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जाए, तो धान की पैदावार में और अधिक वृद्धि संभव है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ की पहचान ‘धान का कटोरा’ बनी रहेगी।

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