संयुक्तता और आत्मनिर्भरता पर बल: रक्षा मंत्री

वेलिंगटन, 10 अप्रैल 2025 (PIB):
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस सर्विसेस स्टॉफ कॉलेज (DSSC), वेलिंगटन में 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को आज के बहु-क्षेत्रीय युद्ध वातावरण में संयुक्त रूप से कार्य करने और भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि साइबर, अंतरिक्ष और सूचना जैसे नए क्षेत्रों में युद्ध अब पारंपरिक अभियानों के समान ही महत्वपूर्ण हो चुके हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, “सरकार सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत युद्ध के लिए तैयार बल में परिवर्तित कर रही है। साथ ही, एक आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रक्षा इकोसिस्टम का निर्माण एक रणनीतिक आवश्यकता बन चुका है।”

युद्ध की प्रकृति में बदलाव

श्री सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और लो-अर्थ ऑर्बिट क्षमताओं जैसे तकनीकी नवाचारों को युद्ध के स्वरूप में आए बड़े बदलाव का कारण बताया। उन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि ड्रोन पारंपरिक हथियारों से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं।

ग्रे जोन और हाइब्रिड युद्ध

उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में साइबर हमले, दुष्प्रचार और आर्थिक युद्ध के माध्यम से बिना गोली चलाए भी सैन्य-राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। भारत को सीमावर्ती चुनौतियों के साथ-साथ छद्म युद्ध और आतंकवाद से भी सतर्क रहना होगा।

आत्मनिर्भरता और रक्षा तकनीक

श्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण को अनिवार्य बताते हुए कहा, “सशक्त और स्वदेशी रक्षा इकोसिस्टम का निर्माण विकल्प नहीं, बल्कि रणनीतिक आवश्यकता है। हमें उच्च तकनीक वाले कम लागत समाधान विकसित करने होंगे।”

‘पाँच ए’ मंत्र

रक्षा मंत्री ने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पाँच ‘ए’ पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया:

  • Awareness (जागरूकता)
  • Ability (क्षमता)
  • Adaptability (अनुकूलनशीलता)
  • Efficiency (दक्षता)
  • Ambassador (दूत)

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे न केवल अपने बलों के प्रतिनिधि बनें, बल्कि समाज में परिवर्तन के दूत और रोल मॉडल के रूप में भी कार्य करें।

वैश्विक दृष्टिकोण और सहयोग

प्रधानमंत्री के ‘SAGAR’ दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समृद्धि और शांति एक साझा प्रयास हैं और चुनौतियों का सामूहिक समाधान ही प्रभावी है।

समारोह की अन्य झलकियाँ

समारोह में 479 अधिकारी शामिल थे, जिनमें 26 मित्र देशों के 38 अधिकारी और तीन महिला अधिकारी भी सम्मिलित थीं। कार्यक्रम से पूर्व रक्षा मंत्री ने मद्रास रेजिमेंट युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और पूर्व सैनिकों से संवाद किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

DSSC की भूमिका

1948 में स्थापित DSSC, भारतीय एवं मित्र देशों के अधिकारियों को त्रिसेवा संयुक्तता के सिद्धांतों पर प्रशिक्षण प्रदान करता है। अब तक 19,000 से अधिक भारतीय और 2,000 अंतरराष्ट्रीय अधिकारी यहां से प्रशिक्षित हो चुके हैं, जिनमें कई अपने देश के सैन्य नेतृत्व में शीर्ष स्थान पर पहुंचे हैं।

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